पिछले लेख में मैंने आपको गागरोन किले के बारे में बताया था , अचलदास के शौर्य और किले की रानियों के बलिदान के बारे में बताया था , दरअसल मुझे किले में घूमते समय गाइड से एक किस्सा और सुन ने को मिला. किस्सा था राजा अचल दास खिंची और उनके पलंग का , कोई ऐसा किस्सा नहीं था की उनका पलंग सोने चांदी या मोतियों का बना था या बेशकीमती था बल्कि किस्सा यूं था के एक पराजित राजा Achaldas Khinchi के पलंग को पांच सौ साल तक कोई नहीं हिला पाया था .
वो किले में मौजूद रानी महल में पांच सौ साल पड़ा रहा था और जिस कमरे में वो पलंग था वहां से हुक्का गुडगुड़ाने की आवाजे आती थी और सफाई करने वाले को उसी पलंग पे पांच रुपए का सिक्का रोज मिलता था . खैर हुक्के की कहानी हो सकता कुछ मनगढ़ंत भी हो सकती है थोड़ी बहुत या वाकई में इतिहास में एसा हुआ होगा कोई प्रमाण नहीं है लेकिन अचलदास खिंची के पलंग का जुडा किस्सा सच है इसके प्रमाण भी मिलते है .
राजा Achaldas Khinchi और उनका पलंग

गागरोन में घूमते हुए मै जनाना महल में पंहुचा जिसे रानी महल भी कहते है वहाँ गाइड ने एक किस्सा सुनाया चौदहवी सदी में होशंगशाह ने गागरोन पर आक्रमण कर दिया था उस समय वहाँ अचलदास खिंची का राज था . होसंग्शाह की सेना खिंचियो की सेना के मुकाबले काफी बड़ी थी कई महीनो तक इस जल से घिरे दुर्ग में घुसने का उसने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. फिर उसने किले में जाने वाली नहर में गाय कटवा के डलवा दी अनाज और जल भण्डारो में कमी होते देख मजबूरन राजा Achaldas Khinchi को किले से बाहर रणभूमि में आना पड़ा. मालवा शाशक के सामने झुकने की बजाय राजा ने बहादुरी से रण में होशंगशाह का सामना किया और सेना सहित गागरोन का पहला साका किया ,गागरोन की रानियों ने जौहर किया जिसमे राणा कुम्भा की बहन लाली कँवर भी थी जो गागरोन की उस समय की प्रथम रानी थी .
अचलदास खिंची के शौर्य और वीरता को देख होशंगशाह भयभीत हो गया और रानी महल को उनकी याद में छोड़ दिया, रानी महल में मौजूद अचल दास की किसी भी वास्तु को नहीं हटाया इसमें उनका भारी भरकम पलंग भी था. उसके बाद पांच सौ साल तक पलंग वही रहा जर्जर होता रहा पर कोई उसे हटा नहीं पाया
राजा अचलदास खिंची का रानी महल में ही शयन कक्ष था वो एक लम्बी कद काठी के इंसान थे एक साधारण पलंग पर वो नहीं सो पाते थे इसलिए उनका पलंग विशेष तौर पर बनवाया गया था पराजित होने के बाद कई राजाओ ने उस किले पर राज किया लेकिन उनके उत्तराधिकारी राजा उनके शयनकक्ष का इस्तेमाल जरुर करते थे पर खिंची का पलंग जस का तस रहा .
पांच रुपए का सिक्का और हुक्के की आवाज

कहा जाता है की किले में राज्य का एक सेवादार रोज रात Achaldaas Khicnhi के बिस्तर को साफ़ करता और बिछाता था और सुबह सेवादार को पलंग पर सलवटे मिलती थी मानो किसी ने रात गुजारी हो इसके अलावा रोज बिस्तर के नीचे सेवादार को पांच रुपए का सिक्का मिलता था . एक दिन सेवादार ने किसी से उस सिक्के के बारे में कह दिया उसके बाद उसे कभी वहां सिक्का नहीं मिला.
इसके अलावा जिस रानी महल में राजा का शयनकक्ष था अक्सर किले के पहरेदारो को वहाँ रात के अँधेरे में हुक्का गुडगुड़ाने की आवाज सुनाई देती थी , ऐसा माना जाता है की राजा मरने के बाद भी रोज रात में बिस्तर पर सोते और हुक्का पीते थे.
आजादी के बाद जब कोटा रियासत खत्म हो गई और इन सब रियासतों को मिलाकर एक नया राज्य राजस्थान बनाया गया , तब गागरोन किले में ये बिस्तर साफ़ करने और बिछाने की व्यवस्था भी खत्म हो गई और स्थानीय लोगो ने अचलदास के पलंग को किले से उठा लिया इसके अलावा उनकी तलवारे और तोप भी स्थानीय लोग ले गये .
जिस पलंग को एक राजा ने दुसरे राजा की बहादुरी को सलाम करने के लिए अछुता छोड़ा था क्या वो एक अभिशाप्त बन गया था ? या जब राजा अचलदास खिंची के शौर्य के किस्से किले में गूंजने लगे तो उनके पलंग और हुक्के की आवाज की किस्से बनने लगे . इन सब पे कहानिया बहुत सारी मिलती है पर किसी कहानी में हुक्के और सिक्के का कोई प्रमाण नहीं है .
2 thoughts on “क्यों राजा Achaldas Khinchi के पलंग को कोई नहीं हटा पाया ?”
Jiya
(April 11, 2018 - 10:10 pm)Soo interesting
त्याग का गवाह गागरोन किला - gagron fort jhalawar | Yayavar
(October 28, 2018 - 9:56 am)[…] लेख में अचलदास और उनके पलंग से जुड़े किस्से को पढ़े […]
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